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हिंदी-उर्दू के अजीम शायर और गीतकार निदा फाज़ली की वो मशहूर गज़लें, जो दिल के जज़्बातों को जुबान दे जाती हैं

निदा साहब की शायरी की एक खास खूबी ये रही कि उनके अ’शार में फारसी शब्दों के बजाय बड़ी नजाकत से देसी जुबान का इस्तेमाल किया गया, जिसने उन्हें आम इंसान के और करीब ला दिया. हर शब्द ऐसा निकला, जो सीधे दिल में उतर गया. किस गज़ल को सुना जाए और किसको छोड़ दें, ये तय कर पाना हमेशा मुश्किल रहा. हर शेर पर दिल से वाह! न निकले, ऐसा कभी हुआ ही नहीं. उन्होंने जो भी लिखा, ऐसा लिखा कि हमेशा-हमेशा के लिए हवाओं में खुशबू की तरह फैल गया. आइए पढ़ते हैं देश के दिल-करीब शायर निदा फाज़ली की वो चुनिंदा गज़लें, जिन्हें भुला पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. ये गज़ले किताब सफ़र में 'धूप तो होगी' से ली गई हैं, जिसका संपादन शीन काफ़ निज़ाम और प्रकाशन 'वाग्देवी प्रकाशन' ने किया है. इस किताब में उनकी मशहूर और चुनिंदा गज़लें हैं. किताब साल 2019 में आई थी, लेकिन साल 2016 में निदा साहब ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. उनका जाना उर्दू साहित्य के लिए बहुत बड़ा झटका था, क्योंकि निदा साहब जैसे शायर सदियों में एक बार पैदा होते हैं...

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